निगमबोध घाट पर सैन्य सम्मान के साथ डॉ. मनमोहन सिंह को विदाई

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डॉ. मनमोहन सिंह के अंतिम संस्कार की प्रक्रिया निगमबोध घाट पर संपन्न हुई। इस अवसर पर सेना के तीनों अंगों के अधिकारी और जवान पूरे सैन्य सम्मान के साथ उनकी अंतिम यात्रा में शामिल हुए। प्रधानमंत्री समेत कई वरिष्ठ नेता और उनके करीबी लोग भी वहां मौजूद रहे।

डॉ. मनमोहन सिंह, जिन्होंने अपने जीवन में कई ऐतिहासिक निर्णय लिए, उन्हें भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था में उनके अमूल्य योगदान के लिए हमेशा याद किया जाएगा। बतौर वित्त मंत्री, उन्होंने 1991 में लिबरलाइजेशन, प्राइवेटाइजेशन और ग्लोबलाइजेशन (एलपीजी) नीति लागू की, जिसने भारत की अर्थव्यवस्था को एक नई दिशा दी। उस समय भारत विदेशी मुद्रा संकट से जूझ रहा था। उन्होंने न केवल विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ाया बल्कि भारत को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

प्रधानमंत्री के रूप में उनके कार्यकाल में कई ऐतिहासिक नीतियां लागू की गईं, जिनमें सूचना का अधिकार (आरटीआई), शिक्षा का अधिकार, खाद्य सुरक्षा का अधिकार और मनरेगा जैसी योजनाएं शामिल हैं। इन योजनाओं ने सरकार को अधिक जवाबदेह और पारदर्शी बनाने के साथ-साथ गरीब और वंचित वर्गों को सशक्त बनाने में अहम भूमिका निभाई।

डॉ. सिंह के नेतृत्व में भारत ने न्यूक्लियर डील जैसे साहसिक फैसले लिए, जो देश की ऊर्जा सुरक्षा और वैश्विक पहचान के लिए मील का पत्थर साबित हुए। इस डील के बाद भारत ने परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में अपनी क्षमताओं का विस्तार किया।

उनकी दूरदर्शिता और कड़ी मेहनत ने भारत को न केवल आर्थिक रूप से मजबूत बनाया, बल्कि सामाजिक कल्याण के क्षेत्र में भी नए आयाम स्थापित किए। आज भारत जिस तेजी से विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर बढ़ रहा है, उसका आधार डॉ. मनमोहन सिंह के समय में ही तैयार हुआ था।

डॉ. मनमोहन सिंह का जीवन भारतीय राजनीति और समाज के लिए प्रेरणास्रोत रहेगा। उनकी नीतियां और फैसले आने वाली पीढ़ियों को प्रगतिशील और समावेशी भारत बनाने की दिशा में प्रेरित करते रहेंगे।

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