कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने वायनाड उपचुनाव में शानदार जीत दर्ज कर अपने राजनीतिक करियर की धमाकेदार शुरुआत की है। उन्होंने 6.22 लाख से अधिक वोट हासिल करते हुए अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) के सत्यन मोकेरी को 4.1 लाख वोटों के बड़े अंतर से हराया। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की नव्या हरिदास तीसरे स्थान पर रहीं, जिन्हें 1.09 लाख वोट मिले।
राहुल गांधी का रिकॉर्ड टूटा
प्रियंका गांधी की जीत ने वायनाड में राहुल गांधी के 3.65 लाख वोटों के अंतर से जीतने के रिकॉर्ड को पीछे छोड़ दिया। यह परिणाम तब आया है जब इस बार मतदान प्रतिशत में गिरावट देखी गई।
मतदान प्रतिशत में गिरावट
वायनाड उपचुनाव में इस बार लगभग 65% वोटिंग हुई, जो अप्रैल में हुए लोकसभा चुनावों में 74% और 2019 के आम चुनावों में 80% मतदान की तुलना में काफी कम थी।
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14 राज्यों की 48 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव
इन उपचुनावों के दौरान देशभर में 14 राज्यों की 48 विधानसभा सीटों और 2 लोकसभा सीटों पर मतदान हुआ। लोकसभा की दो सीटों में केरल की वायनाड और महाराष्ट्र की नांदेड़ शामिल थीं।
वायनाड: प्रियंका गांधी का पहला चुनाव
प्रियंका गांधी ने वायनाड से अपना पहला चुनाव लड़ा, जो पहले उनके भाई राहुल गांधी की सीट थी। राहुल ने वायनाड और रायबरेली दोनों सीटों से चुनाव लड़ा था और बाद में रायबरेली सीट अपने पास रखने का फैसला किया, जिसके कारण वायनाड में उपचुनाव कराना पड़ा।
राहुल गांधी ने बहन के लिए की थी जोरदार प्रचार
राहुल गांधी ने प्रियंका गांधी के समर्थन में वायनाड में कई चुनावी रैलियां कीं। एक रैली में उन्होंने कहा, “अगर प्रियंका को आपसे लगाव हो गया, तो वह आपके लिए हर मुमकिन काम करेंगी। एक अच्छा सांसद होने के लिए यह बेहद जरूरी है कि सांसद को अपने क्षेत्र और वहां के लोगों से प्यार हो। प्रियंका वायनाड को बहुत पसंद करेंगी।”
भाजपा और सीपीआई को झटका
प्रियंका गांधी की जीत ने कांग्रेस को नया जोश दिया है, जबकि सीपीआई और भाजपा को करारा झटका लगा। सत्यन मोकेरी और नव्या हरिदास के लिए यह चुनावी परिणाम उनके राजनीतिक भविष्य के लिए चिंता का कारण बन सकता है।
निष्कर्ष
प्रियंका गांधी की इस शानदार जीत ने कांग्रेस के लिए एक नई उम्मीद जगाई है। उनका डेब्यू न सिर्फ एक राजनीतिक सफलता है, बल्कि वायनाड के मतदाताओं के साथ उनके जुड़ाव को भी दर्शाता है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि प्रियंका गांधी अपने राजनीतिक सफर को आगे कैसे लेकर जाती हैं।