2024 में दीपावली की असली तारीख क्या है?

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दिवाली, जिसे दीपावली के नाम से भी जाना जाता है, न केवल भारत बल्कि वैश्विक स्तर पर सबसे प्रसिद्ध हिंदू त्योहारों में से एक है। यह पर्व अंधकार पर प्रकाश, बुराई पर अच्छाई और अज्ञान पर ज्ञान की विजय का प्रतीक है। दिवाली की उत्पत्ति संस्कृत के शब्द “दीपावली” से हुई है, जिसका अर्थ है “दीयों की पंक्ति”। हर साल, इस पर्व को विशेष धूमधाम के साथ मनाया जाता है और घरों को दीयों, मोमबत्तियों और रंगोली से सजाया जाता है। दिवाली का मुख्य आकर्षण माँ लक्ष्मी की पूजा है, जो धन, समृद्धि और उन्नति की देवी मानी जाती हैं। 2024 में, यह पर्व 1 नवंबर को मनाया जाएगा, जबकि लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त 31 अक्टूबर की शाम 6:56 बजे से रात 8:27 बजे तक रहेगा।

दिवाली: पाँच दिनों का महोत्सव

भारत के अधिकांश हिस्सों में, दिवाली पाँच दिनों का त्योहार होता है, जिसमें धनतेरस से भाई दूज तक अलग-अलग विशेष आयोजन होते हैं। पहला दिन धनतेरस के नाम से जाना जाता है, जब लोग नए बर्तनों, गहनों, या धन-संपत्ति की खरीदारी करते हैं, जो समृद्धि का प्रतीक मानी जाती है। दूसरे दिन, जिसे नरक चतुर्दशी कहते हैं, घरों की सफाई और सजावट की जाती है। तीसरे दिन मुख्य दिवाली होती है, जिसमें लक्ष्मी पूजा का आयोजन होता है और घरों में दीये जलाए जाते हैं। चौथे दिन गोवर्धन पूजा और अन्नकूट का आयोजन होता है, जो प्रकृति और भोजन के प्रति आभार व्यक्त करने के लिए होता है। पाँचवाँ और अंतिम दिन भाई दूज होता है, जो भाई-बहन के प्रेम और स्नेह का प्रतीक है।

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लक्ष्मी पूजा का महत्व और अनुष्ठान

दिवाली का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा लक्ष्मी पूजा है, जिसे अमावस्या की रात को किया जाता है। इस पूजा में माँ लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है, जिनसे सुख, समृद्धि और ज्ञान की प्राप्ति की कामना की जाती है। लक्ष्मी पूजा की तैयारियाँ घर की सफाई और रंगोली से शुरू होती हैं। रंगोली बनाना दिवाली का एक अहम हिस्सा है, जिसे रंग-बिरंगे चावल, फूलों, या रंगीन पाउडर से सजाया जाता है।

लक्ष्मी पूजा के दिन एक छोटा वेदी बनाया जाता है, जिस पर देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की मूर्तियाँ रखी जाती हैं। इन्हें फूलों, मिठाइयों, और फलों से सजाया जाता है। पूजा के दौरान दीपक जलाए जाते हैं, प्रार्थना की जाती है, और आरती होती है। पूजा का समापन प्रसाद वितरण और पटाखे जलाने के साथ होता है। दिवाली का यह दृश्य अत्यंत मनमोहक और सौम्य होता है, जो सभी के मन को शांति और सुख से भर देता है।

लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त प्रदोष काल में आता है, जो सूर्यास्त के बाद लगभग 2 घंटे 24 मिनट तक रहता है। इसे अत्यंत शुभ माना जाता है और इसी दौरान देवी लक्ष्मी का स्वागत किया जाता है। तांत्रिक समुदायों के लिए महानीशिता काल का विशेष महत्व है, लेकिन इसे आम परिवारों में कम ही प्रयोग किया जाता है।

दिवाली के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहलू

दिवाली एक ऐसा पर्व है जो परिवारों को जोड़ने और एक-दूसरे के प्रति स्नेह और आभार व्यक्त करने का अवसर प्रदान करता है। दिवाली के दौरान परिवार के सदस्य नए कपड़े पहनते हैं, एक-दूसरे को मिठाइयाँ बाँटते हैं, और विभिन्न प्रकार के विशेष व्यंजनों का आनंद लेते हैं। इस पर्व का एक महत्वपूर्ण पहलू यह भी है कि यह सभी लोगों को साथ लाकर एकता और स्नेह का संदेश देता है।

दिवाली के समय आतिशबाजी का भी एक विशेष महत्व है, जो नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने और खुशी का वातावरण बनाने के लिए की जाती है। इस दिन हर घर, मंदिर, और सड़कों पर दीयों की पंक्तियाँ होती हैं, जो अंधकार को दूर करने का प्रतीक होती हैं।

वैश्विक स्तर पर दिवाली का उत्सव

दिवाली न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर में भारतीय समुदायों द्वारा मनाई जाती है। जैसे कि संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, सिंगापुर, और ऑस्ट्रेलिया में भारतीय लोग इस पर्व को उसी धूमधाम से मनाते हैं जैसे भारत में। यह पर्व इन देशों में भारतीय संस्कृति को समझने और उसका हिस्सा बनने का एक अवसर बनता है। दुनिया भर के कई लोग दिवाली की सुंदरता और इसके संदेश से प्रभावित होकर इसे मनाने में दिलचस्पी दिखाते हैं। इस तरह से यह पर्व न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक एकता और भाईचारे का प्रतीक बन गया है।

2024 दिवाली का मुहूर्त और समय

इस वर्ष, दिवाली का पर्व 1 नवंबर को मनाया जाएगा, और अमावस्या का समय 31 अक्टूबर को दोपहर 3:52 बजे से शुरू होकर 1 नवंबर को शाम 6:16 बजे तक रहेगा। अधिकांश क्षेत्रों में 1 नवंबर को दिवाली का मुख्य उत्सव मनाया जाएगा, लेकिन लक्ष्मी पूजा का प्रमुख मुहूर्त 31 अक्टूबर की शाम में रहेगा। प्रदोष काल का यह समय पूजा के लिए अत्यंत शुभ माना गया है।

समृद्धि और सांस्कृतिक समर्पण का पर्व

दिवाली एक ऐसा पर्व है जो न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक, सामाजिक और आध्यात्मिक एकता का प्रतीक है। यह वह समय है जब लोग अपने घरों को सुंदरता से सजाते हैं, अपने परिवारों के साथ समय बिताते हैं और माँ लक्ष्मी से सुख-समृद्धि का आशीर्वाद माँगते हैं। यह पर्व हर किसी को अंधकार पर प्रकाश की जीत, और अच्छाई के मूल्य की याद दिलाता है।

इस दिवाली, दीयों की रोशनी से अपने घरों और दिलों को रौशन कीजिए, और प्रेम, खुशी और समृद्धि का स्वागत कीजिए।

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